Poem: Habit

आदत

आदत आदत आदत,

डालो खुद में आदत।

कुछ भी निरंतर करने की,

कुछ भी लिखते रहने की,

पढ़ने और पढ़ाने की,

कला नया सिखाने की।

आदत हो सकता है अच्छा,

या बूरा, फिर बहुत बुरा,

बचपन से सीखा हमने ये,

पढ़ने लिखने की लत लगी मुझे।

लत जिसकी लग जाए जीवन में,

सबसे आसान लगे मन में,

सोचो कुछ भी लिख डालो वह,

चाक पर कुछ भी गढ़ डालो वह।

जैसे खेतों को खोद कृषक को,

लत लगी अन्नदाता बनने की,

वैसे हीं तुम भी लत पलो,

ज्ञानसागर में गोते लगाने की।

सैनिक ने ठाना है जैसे,

सब की रक्षा करने की,

वैसे हीं तुम ठान लो,

सैनिक की स्वास्थ्य सुरक्षा की।

दूनिया को पहचानो,

हर जंगल को तुम जानो,

लत डालो अमृत बनाने की,

करो नाम जग में तुम अपना,

महान विद्वान् बन जाओ तुम,

आदत जो डालोगे करने की,

मन चाहा फल पाओगे एक दिन।।

~ Manjusha Jha

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