नया वर्ष
नया वर्ष, लो आने वाला है नया वर्ष फ़िर से,
सुस्वागतम हैं करते बड़े ही हर्ष से।
नव ऊर्जा, नया स्रोत ढूंढते हैं फिर से,
कुछ कर गुजरने की हुनर सोचते हैं मन से।।
नया उमंग नव तरंग मिला है प्रखर किरण से,
सब हरा भरा मिला प्रकृति की गोद से।।
सब मिलकर चलो करेंगे, एक प्रयास दिल से,
सब मिलकर करेंगे, कोई नेकी का काम अपने मन से।
लेते हैं वचन आज से,
सिर्फ अपने आप से,
नव वर्ष का स्वागत बस करो इसी अंदाज से।।
सोचती हूं हो सब कुछ नया- नया,
पतझड़ के पेड़ों के जैसे,
पुराने फूलों के पंखुड़ियों के जैसे,
छोरूं बीती राहों को,
भुलूं उलझे सभी शवालों को।।
उन पुरानी यादों को छोड़ो अब,
गीले- सिकवे जाने दो,
भूलो अपमान की गुत्त्थियों को अब,
बस नया “मंजूषा” की किरन बिखराने दो।।
नव पल्लवी त टहनी बन जाओ,
सतरंगी पुष्पों को खिलने दो अब।।
4 आने वाला है नया वर्ष,
तो नया सवेरा आने दो अब।।
सब गाओ यही गान अब,
रहेंगे जीवन भर साथ ही अब।।।
Fantastic Swapnil,suparb
Bohut sundar kavita 👍👌
Thank you.